समाचार रिपोर्ट:
नई दिल्ली।
कांग्रेस महासचिव और वायनाड से सांसद श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज एक विद्यालय समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए जीवन के मूलभूत मूल्यों पर एक भावनात्मक और प्रेरणादायी वक्तव्य दिया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि वह अपने बच्चों से केवल दो चीज़ों की अपेक्षा करती हैं ईमानदारी और ज़िम्मेदारी और यही मूल मंत्र उन्होंने छात्रों को भी अपनाने की सलाह दी।
“मैं हमेशा अपने बच्चों से कहती हूं कि ईमानदार रहो, सबसे पहले अपने आप से, ताकि तुम सबके प्रति ईमानदार बन सको। ज़िम्मेदारी लो अपने कर्मों की, अपने जीवन की। जब तुम ज़िम्मेदारी लेते हो, तब किसी और को दोष देने की गुंजाइश नहीं रहती,” उन्होंने छात्रों से कहा।
प्रियंका गांधी ने छात्रों को आत्म-सम्मान, करुणा और आत्म-स्वीकृति के महत्व का भी स्मरण कराया। उन्होंने कहा कि सच्ची खुशी तभी संभव है जब आप दूसरों के प्रति दयालु और प्रेमपूर्ण रहें—और यह तभी संभव है जब आप अपने प्रति भी सौम्य रहें।
उन्होंने विद्यालय के हेड बॉय के साथ हुई बातचीत का भी ज़िक्र किया, जिसमें छात्र ने स्कूल की सबसे बड़ी विशेषता के रूप में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ को रेखांकित किया। “यह किसी भी शैक्षणिक संस्था के लिए एक बहुत बड़ी प्रशंसा है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि विद्यालय बच्चों को अपने विचार प्रकट करने, तर्क करने, और शिक्षकों से संवाद करने की स्वतंत्रता दे रहा है, तो वह शिक्षा के अपने उद्देश्य को वास्तविक अर्थों में पूरा कर रहा है।
प्रियंका गांधी का यह उद्बोधन न केवल छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत था, बल्कि समस्त शिक्षकों और अभिभावकों को यह स्मरण दिलाता है कि शिक्षा का सार केवल अंक और प्रमाणपत्र नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और मानवीय मूल्यों का विकास है।
