हिंदी अनुवाद (शब्दशः):
मैं हमेशा अपने बच्चों से कहती हूं कि मैं उनसे दो चीज़ों की अपेक्षा करती हूं: ईमानदारी और ज़िम्मेदारी।
ईमानदारी सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण अपने आप से, ताकि वे अपने चारों ओर के सभी लोगों के साथ ईमानदार रह सकें।
और मैं उनसे अपेक्षा करती हूं कि वे अपने कार्यों और अपने साथ जो कुछ भी होता है, उसके लिए ज़िम्मेदारी लें।
जब आप अपने लिए ज़िम्मेदारी लेते हैं, तब आप दुनिया और दूसरों को दोष नहीं दे सकते कि आपके साथ क्या हुआ।
आपको अपने पैरों पर खड़ा होना होता है और जिन बातों में आप विश्वास करते हैं, उनके लिए लड़ना होता है।
सच्चा संतोष और खुशी आपको तभी मिलेगी जब आप दूसरों के प्रति दयालु, प्रेमपूर्ण और करुणाशील होंगे।
और इसके लिए ज़रूरी है कि आप अपने प्रति भी प्रेमपूर्ण और करुणाशील रहें।
अपने आप पर ज़्यादा कठोर न बनें।
मैं आपके हेड बॉय से बात कर रही थी, और उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें यह स्कूल बहुत पसंद है।
मैंने पूछा क्यों, तो उन्होंने कहा कि यह उन्हें अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है।
मुझे लगता है कि यह किसी भी शैक्षणिक संस्था के लिए सबसे बड़ी सराहना है।
अगर आप बच्चों को अपनी बात कहने की स्वतंत्रता दे पाते हैं, उन्हें अपने विचारों पर तर्क करने का अवसर मिलता है,
और अगर शिक्षक उन्हें सुनते हैं, उनकी बात समझते हैं, और उनके नज़रिये को समझते हुए उन्हें विकसित होने में मदद करते हैं,
तो आपने एक शैक्षणिक संस्था के रूप में वास्तव में सफलता प्राप्त कर ली है।
— कांग्रेस महासचिव एवं वायनाड सांसद श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा जी
