माँ वो साया है, जो छाँव बनकर साथ चलती है,हर अपने आँचल में छुपा लेती है,
पिता वो दीवार है, जो आँधियों से टकराता है,खुद टूटकर भी घर को बचा लेता है।
माँ की ममता हर सुबह पूजा-सी लगती है,उसकी दुआओं में हर दर्द की दवा मिलती है,
पिता की चुप्पी में भी प्रेम बरसता है,उसकी ख़ामोशी में भी “तू मुस्कुरा” बसता है।
माँ हाथ पकड़कर चलना सिखाती है,तो पिता गिरकर उठना सिखाता है,
माँ दिल में बसती है,पिता हौसलों में जीता है।
माँ की गोद सबसे प्यारी जगह है,जहाँ हर चिंता मिट जाती है,
पिता का कंधा सबसे मज़बूत सहारा है,जहाँ पूरी दुनिया छोटी लगती है।
माँ ताज़ा रोटी की ख़ुशबू है,
पिता वो मजदूर है जो उस रोटी की चिंता करता है,
माँ पूजा की थाली है,
पिता वो देवता है जो चुपचाप आशीर्वाद देता है।
माँ और पिताजी…
ये दो नाम नहीं,
ये तो ज़िन्दगी की दो साँसें हैं,
एक रुक जाए तो जीना अधूरा हो जाता है

#माँबाप
